Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022..गणगौर...

आज बात करते हैं राजस्थान में मनाएं जाने एक लोकप्रिय त्यौहार गणगौर की....। 

इस त्यौहार को मुख्यतः राजस्थान में मनाया जाता हैं..। 
गणगौर का त्यौहार होली के दूसरे दिन से शुरू हो जाता हैं और होली के बाद सोलह दिनों तक लगातार मनाया जाता हैं...। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह त्यौहार चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू किया जाता हैं..। 
गणगौर के पर्व के पीछे भी एक पौराणिक कथा हैं...। कहा जाता हैं की माता पार्वती ने शिव जी को पति के रुप में पाने के लिए कठिन व्रत और तपस्या की थीं...। भगवान शिव उनके इस व्रत और तपस्या से प्रसंन्न होकर उनके समक्ष आए और माता पार्वती को वरदान मांगने को कहा..। तब माता पार्वती ने अपनी इच्छा बताई..। भगवान शिव ने उनकी इच्छा को पूर्ण किया और उनके साथ विवाह किया साथ ही उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान भी दिया..। 
इसी कारण यह त्यौहार विवाहित औरतें अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए और कुंवारी लड़कियां शिव जी जैसे वर की कामना के लिए रखती हैं...। 
सोलह दिनों तक व्रत रखने वाली महिलाएं एक वक्त का खाना ही खाती हैं...। इस दिन प्रतिदिन शिव जी और माता पार्वती की पूरे विधिविधान से पूजा की जाती हैं...। 
व्रत रखने वाली औरतें एकादशी को प्रातः स्नान कर गीले कपड़ों में ही घर के पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी एक टोकरी में जंवार बोती हैं..। इन जंवारो को ही माता पार्वती और भगवान शिव का रुप माना जाता हैं...। जंवारो का विसर्जन होने तक प्रतिदिन दोनों समय इनकी पूजा की जाती हैं.. । रातको खाये जाने वाले खाने का भी पहले भोग लगाया जाता हैं...। 
राजस्थान में इस त्यौहार में खासकर एक तरह की मिठाई बनाई जाती हैं... जिसे गणगौरी घेवर के नाम से जाना जाता हैं...। यह लजीज मिठाई साल में सिर्फ इन्ही दिनो मे मिलतीं हैं...। 
शाम के वक्त महिलाएं अक्सर मिलकर राजस्थानी लोक गीत गाती हैं और माता पार्वती के भजन कीर्तन भी करतीं हैं...। 
काफी जगहों पर मिट्टी की बनी माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियां भी घरों में स्थापित करने का प्रचलन हैं...। 
व्रत के समापन पर इन मुर्तियो को विधिविधान से बहते जल में विसर्जित किया जाता हैं...। 
काफी जगहों पर महिलाएं समूह में इस व्रत को रखतीं और पूजा करतीं हैं...। 
समापन के दिन बोई गई जंवारो पर सोलह श्रंगार भी चढ़ाएं जातें हैं...। महिलाएं भी इस दिन सोलह श्रंगार करके सजंती संवरती हैं...। 
यह व्रत भी सोलह दिनों तक रखा जाता हैं...। 
माता पार्वती के समक्ष भी सोलह श्रंगार भेंट स्वरूप रखें जातें हैं...। 
भारत देश के हर कोने में ना जाने ऐसे कितने त्यौहार हैं जिनके बारे में जितना लिखे कम हैं..।  हर त्यौहार अपने साथ बहुत सारी कथाएँ, कहानियाँ अवश्य कहता हैं...।

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4 Comments

Supriya Pathak

09-Dec-2022 09:33 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Palak chopra

15-Nov-2022 12:46 PM

Behtreen 🙏

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Rafael Swann

14-Nov-2022 11:44 PM

Umda 👏

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